बांसवाड़ा बांस के जंगलों के कारण इसका नाम बांसवाड़ा पड़ा। बांसवाड़ा की स्थापना महारावल उदयसिंह के पुत्र महारावल जगमालसिंह ने की थी। बांसवाड़ा को सौ दीपों का शहर के नाम से भी जाना जाता है। इसे राजस्थान का 'चेरापूंजी' भी कहते है।

बांसवाड़ा प्रशासनीक इकाईयां 






तहसील - 11 पंचायत समिति - 11 संभाग - उदयपुर





बांसवाड़ा महत्वपूर्ण तथ्य

कर्क रेखा अर्थात 23 1/2 डिग्री अक्षांश राज्य के दक्षिण में बांसवाड़ा डुंगरपुर जिले से गुजरती है। बांसवाड़ा शहर कर्क रेखा से राज्य का सर्वाधिक नजदीक शहर है। एकीकरण के समय बांसवाड़ा के शासक चन्द्रवीर सिंह ने एकीकरण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि “मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं। राजस्थान का दक्षिणी विस्तार बोरकुड गांव, बांसवाड़ा तक विस्तृत है। राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार - बांसवाड़ा व झालावाड़। राजस्थान में वर्षा की सबसे कम विषमता वाला जिला - बांसवाड़ा।

बांसवाड़ा महत्वपूर्ण स्थल



घोटिया आम्बा- महाभारत काल में पांडवों ने यहां कुछ समय गुजारा था। यहां पर प्रतिवर्ष चैत्र माह की अमावस्या से दुज तक भारी मेला भरता है। छींच ब्रह्मा मंदिर - छींच गांव में बना ब्रह्मा जी का प्राचीन मंदिर जिसमें महारावल जगमाल ने चारमुखों वाली मुर्ति की स्थापना की थी। 







त्रिपुरा सुन्दरी - तलवाड़ा गांव में स्थित भव्य मंदिर। इसे श्रद्धालु त्रिपुरा सुन्दरी, तरतई माता एवं त्रिपुरा महालक्ष्मी के नाम से पुकारते हैं। इस जिले में वर्तमान में कोई भी वन्यजीव अभ्यारण्य नहीं है। राजस्थान में सागवान के सर्वाधिक वृक्ष बांसवाड़ा में है। बांसवाड़ा में राजस्थान का एक क्रिटिकल सुपर थर्मल पावर प्लांट निर्माणाधीन है। राजस्थान में दुसरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र - नापला (बांसवाड़ा में निर्माणाधीन)।





छप्पन का मैदान - बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ के मध्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। भौगोलिक नाम देवल- डूंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग। पुष्प क्षेत्र डूंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है। 

वागड़ - डूंगरपुर व बांसवाड़ा। बागड़ी, डुंगरपुर व बांसवाड़ा क्षेत्र की बोली है, इसे भीलों की बोली कहते हैं। राजस्थान पर्यटन विकास की दृष्टि से वागड़ सर्किट में आता है।

माही नदी - माही नदी मध्यप्रदेश के अममोरू (धार) से निकलती है, राजस्थान में बांसवाड़ा के खांदू गांव से प्रवेश करती है। बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ की सीमा पर बहते हुए, डुंगरपुर, बांसवाड़ा की सीमा बनाते हुए गुजरात में प्रवेश करती है। माही बजाज सागर बांध - माही नदी पर बांसवाड़ा में। माही बजाज सागर परियोजना - इस परियोजना के अन्तर्गत बांसवाड़ा व डूंगरपुर की कुछ तहसीलों में जल आपूर्ति होती है। राजस्थान में झरनों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई व बांसवाड़ा जिले में होती है।